अभावों के बीच पनपती खुशियाँ

  • 3.2k
  • 1.2k

शिवानी अब भी खुद पर यकीन नहीं कर पा रही थी कि आकाश उसके साथ नहीं है । आकाश को घर छोड़कर गए हुए दो महीने हो गए लेकिन शिवानी को लग रहा था जैसे आकाश के बिना एक लम्बा अरसा गुजर गया हो । आज रविवार की छुट्टी होने से बेटा अंश अभी भी नींद के आगोश में था । शिवानी तो अपनी रोज की आदत के मुताबिक साढ़े छह बजे ही उठ गई । खुद के लिए एक कप चाय बनाकर वो कप लेकर बाल्कनी में कुर्सी डालकर बैठ गई और अनायस ही आकाश से जुड़ी हुई दो