श्रद्धा अपने कमरे में आईने के सामने बैठी खुदको निहारे जा रही थी और मन ही मन में सोच रही थी,("आखिर करण ऐसा क्या सरप्राइज़ देने वाला है?") श्रद्धा यही सोच रही थी की तभी वहा एक औरत आती है,चम्पा जो की श्रद्धा के घर में खाना बनाने का काम किया करती है। श्रद्धा उसे अंदर आने को कहती है......"हां आ जाओ"ओ अंदर आकर श्रद्धा से डरते हुए कहती है"छोटी मालकीन ओ मुझे आंठ दस दिन के लिए छूटी चाहिए था।मेरी बेटी का तबियत आज कल बहुत खराब रहता है।".....ये सुनते ही श्रद्धा उस पर चिल्लाते हुए कहती है..."क्या??छूटी चाहिए,,