(32) बद्रीनाथ और उमा को विशाल की चिंता हो रही थी। उमा ने बद्रीनाथ से कहा,"बेवजह ज़िद करके ऊपर चला गया। हमें उसकी बहुत फिक्र हो रही है। ऊपर अकेला है।"बद्रीनाथ ने कहा,"हमें भी उसकी चिंता हो रही है। जाकर उसे नीचे लाने का प्रयास करते हैं।"किशोरी ने भी इस बात का समर्थन किया। बद्रीनाथ उठे और छत की तरफ चल दिए। जब वह सबसे ऊपर की सीढ़ी पर पहुँचे तो उनकी नज़र विशाल पर पड़ी। वह सर्दी की रात में छत पर बैठा शून्य में जाने क्या देख रहा था। उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। जब तक वह कुछ कहते