श्री श्याम सुन्दर 'श्याम' की काव्य रचना- शैलेन्द्र बुधोलियाऐसे व्यक्तित्व दुर्लभ और महान होते हैं जिनका विकास एक रैखिक न होकर अनेक आयामों में समान रचना धर्मिता की उपलब्धियों से संयुक्त होता है। स्व. श्याम सुन्दर श्याम का व्यक्तित्व ऐसा ही था। अनेक विषयों के गहन अध्येता, विवेकशील विचारक, संगीत के ज्ञाता और गायक, खिलाड़ी, राजनेता, जीवनमूल्यों को सिद्धांत में ही नहीं व्यवहार में भी मानने वाले और उत्कृष्ट कवि, ऐसे कितने ही पार्श्व हैं जिनसे श्याम जी के लोकप्रिय व्यक्तित्व भी संरचना हुई थी। यहां उनके कवि रूप की एक झांकी प्रस्तुत करना अभिप्रेत है।'दतिया उद्भव और विकास'पुस्तक में