अभी तीन चार दिन ही हुए थे किशोर और ओजस्वी को शान्तिनिकेतन में रहते हुए कि तभी ठकुराइन कौशकी जी का ऋषिकेश से तार आया और उसमें लिखा था कि...... उनकी बहुत ज्यादा तबियत खराब है,उन्होंने सबको ऋषिकेश बुलवाया है,उनका सभी को देखने का बहुत मन है और हाँ तेजस्वी को लाना मत भूलना,क्या पता अब मैं यहाँ और कितने दिन की मेहमान हूँ... ये खबर सुनकर ओजस्वी परेशान हो उठी और किशोर से बोली... हम सभी को फौरन ऋषिकेश के लिए रवाना होना होगा , हाँ!चलो आज ही हम सभी माँ के पास चलते हैं ,किशोर बोला... उन्होंने तो तेजस्वी को