मुसाफ़िर जाएगा कहाँ?--भाग(२५)

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और बंदूक चलने की आवाज़ से ओजस्वी जोर से चीख पड़ी फिर बोली.... आपने ये क्या किया बाबूजी? और फिर ठाकुर साहब कराहते हुए लरझती आवाज़ में बोलें... तूने मेरे लिए कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा था बेटी! मैं अपने बनाएं नियम को खुद भी नहीं तोड़ सकता था,अच्छी लग रही है तू दुल्हन बनके,भगवान सदा तेरी जोड़ी बनाएँ रखें और इतना कहकर ठाकुर साहब ने अपने प्राण त्याग दिए... क्योंकि ठाकुर साहब ने किशोर को नहीं खुद को गोली मारी थी,अपने खानदान की इज्जत बचाने का उनके पास यही उपाय था,जब बेटी ने उनके मन की नहीं की तो