तब जागृति लक्खा की बात सुनकर बोली... बच्चे को अभी उसके पिता के पास ही रहने देते,अभी दोनों को एक दूसरे की ज्यादा जरूरत है , तू अपनी जुबान बंद रखा कर,बड़ी हिमायती बन रही है बाप बेटे की,बंसी ने खुद बच्चे को ले जाने को कहा था इसलिए ले आया उसे,मुझे कोई शौक नहीं चढ़ा था दूसरे की औलाद को अपने घर रखने का ,लक्खा बोला.... कह दिया होगा उसने परेशान होकर और तुम ले भी आए बच्चे को यहाँ,ये तुमने ठीक नहीं किया ,जागृति बोली... मैंने कहा ना कि अपनी जुबान बंद रखा कर,खबरदार! जो आज के बाद मेरी बात काटने