साथिया - 6

  • 5.8k
  • 4.6k

" आंसू नही देख सकता इन आँखों में। घबराओ मत सब सही है और जब तक मैं हूँ साथ कुछ गलत नही होगा।" अक्षत ने कहा तो सांझ ने पलके उठाकर उसकी तरफ देखा। " चलो तुमको हॉस्टल छोड़ देता हूँ।" अक्षत ने कहा तो सांझ उसके पीछे बाइक पर बैठ गई। उसी के साथ अक्षत ने बाइक आगे बढ़ा दी।बरसात तेज हो गई थी। अक्षत बाइक धीरे धीरे चला रहा था। सांझ बस खोई हुई सी उसके पीछे बैठी रही। कानों मे अक्षत के कहे शब्द गूंज रहे थे। हिम्मत कैसे हुई तेरी मेरी सांझ के साथ बदतमीजी करने