[ बल्लू - सुनिल, वैसे जो हुआ वो ठीक की हुआ, में तुम्हें कई दिन से बंदुक वाली बात बताने वाली थी कि मैं हमेशा अपने साथ बंदुक लेकर घर से आती हुं । ][ सुनिल - पर तुम क्यो बंदूक लाती हो अपने साथ । क्या तुम्हे मुझपर इतना भी भरोसा नहीं कि मैं तुम्हारी रक्षा कर सकता हूं। तुम्हे मुझपर इतना अविश्वास है। ] [ बल्लू - देखो यार सुनिल । हमारे सपनो की दुनिया असल दुनिया मे हमेशा विद्यमान होता है। सपनों की दुनिया मे तुम मेरे लिए सबकुछ हो, शायद उस दुनिया मे तुम इतने शक्तिशाली