आज के अधिकांश लोग किसी न किसी संत या धर्म संस्थाओं से जुड़े हैं। यहाँ तक कि बहुत लोगों ने संतों से दीक्षा भी ले रखी है। परंतु देखने में आया है कि भजन करनेवालों की संख्या बहुत कम है। गुरु बनाने वाले तो बहुत मिल जायेंगे लेकिन नाम जप करनेवाले विरले ही मिलते हैं। नाम निष्ठा कहीं-कहीं देखने को मिलती है। नाम जप करनेवाले भी इतना जप नहीं करते जितना कर सकते हैं। लोग सत्संग प्रवचन भी खूब सुनते हैं, बड़े बड़े धार्मिक आयोजन भी करते हैं। लाखों रुपये खर्च करके संतों के प्रवचन व कथा करवाने वाले लोगों