अब बेला का करारा जवाब पाकर लक्खा मन ही मन सुलग रहा था और उसकी इस उलझन को बंसी ने भाँप लिया और उससे पूछा.... क्यों लक्खा? आजकल तू इतना बुझा बुझा सा क्यों रहता है ? अब मैं क्या बताऊँ कि मुझे कौन सा ग़म खाए जा रहा है ?,लक्खा बोला.... ग़म...कौन सा ग़म ?,बंसी बोला... तू रहने दे,मैं तुझे कुछ नहीं बता सकता ,लक्खा बोला... अरे! बोल ना कि क्या बात है ,बंसी ने फिर पूछा... तू मेरा ग़म दूर नहीं कर सकता बंसी! लेकिन उस ग़म की दवा तो तेरे ही पास है ,लक्खा बोला... ये क्या कह रहा है तू? मैं कुछ