अनोखी प्रेम कहानी - 17

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• बंदीगृह में राजमाता के आदेश से हलचल मच गई . बंदी युवराज को तत्काल राजमाता के कक्ष में उपस्थित किया गया । बेड़ियों में जकड़ा युवराज चन्द्रचूड़ शांत था । उसकी आकृति पर मृत्यु भय की छाया तक नहीं थी । राजमाता के सम्मुख आते ही उसने शांत - मुद्रा में उनका शिष्टतापूर्वक अभिवादन करते हुए कहा- राजमाता के श्रीचरणों में उत्कल युवराज चन्द्रचूड़ का प्रणाम स्वीकार हो माता ! आपके दर्शन की अभिलाषा आज पूरी हुई .... मेरे लिए क्या आदेश है राजमाता ? ' राजमाता के नयन फिर से छलक गए . ' यह क्या ... मेरे