सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 4

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गुरु महिमाभारतवर्ष के साधकों का विश्वास है कि सद्गुरु की कृपा बिना किसी को अध्यात्म मार्ग में सफलता नहीं मिल सकती। अनेक लोग यही कहा करते हैं कि हमने ग्रंथों का अध्ययन कर लिया अपनी बुद्धि से उनका रहस्य भी समझ लिया अब गुरु की क्या आवश्यकता है ? जो लोग इस प्रकार का विचार रखते हैं, वे अंत में अहंकार के जाल में ही फँसे दिखाई पड़ते हैं। विद्या प्राप्त कर लेने पर भी बिना उपयुक्त मार्गदर्शक के उसे व्यवहार में लाना और पूरा लाभ उठा सकना बहुत कठिन होता है। श्रीमत् शंकराचार्य जैसे महान् मनीषी भी यही कह