नि:शब्द के शब्द - 19

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नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक / उन्नीसवां भाग *** लोग तो मर कर जलते होंगे . . . मोहिनी का जीवन रेगिस्थान की गर्म, आँधियों में उड़ती हुई धूल से बने हुए 'सिंकहोल' की गहराइयों में दब कर रह गया. इस प्रकार कि, जितना ही अधिक वह उसमें से बाहर आने के लिए अपने हाथ-पैर मारती थी, उससे भी अधिक वह उसके अंदर धंसती चली जाती थी. उसे मालुम था कि, एक समय था जबकि, वह इसी संसार में कितना अधिक खुश थी. उसका सारा जीवन ज़माने कि मस्त हवाओं का दामन थामकर खुशियों के रेले में उड़ा फिरता था.