सोने के कबूतर की चोरी

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ठण्ड का मौसम था बाग़ हरियाली से दमक रहा था तब ही बादशाह अकबर ने सभापतियों को बाग़ में दरबार लगाने का हुक्म दिया . हुक्म की तालीम हुई और पूरा दरबार, अकबर और बीरबल बाग़ में बैठे .अकबर के आदेश पर बीरबल सभा में न्याय का कार्य देख रहा था .कई लोगों की न्याय याचिका सभा में पढ़ी गई जिनका बीरबल ने अपनी सूझ बुझ से न्याय किया लगभग सारी याचिकायें पढ़ी गई न्याय के इस कार्य में कई घंटे बीत गयेथोड़ी देर बाद दरबार में एक व्यापारी आया उसने चौरी की अर्जी लगाई थी .उसने कहा – एक