खलासी की बात सुनकर कृष्णराय जी बोलें... अब तो परसो तक इन्तजार करना पड़ेगा... अब इसके सिवाय कोई चारा भी तो नहीं है,स्टेशन मास्टर साहब बोलें... ओह...ये तो मुसीबत हो गई,मुझे आपके यहाँ एक रात और रुकना पड़ेगा,खामख्वाह मैं आपकी और भाभी जी की तकलीफ़ें बढ़ा रहा हूँ,कृष्णराय जी बोलें... इसमें तकलीफ़ की क्या बात है इन्जीनियर बाबू!हमारे यहाँ तो वैसें भी कोई भूला भटका मुसाफ़िर ही आता है,हमें आपकी मेहमाननवाजी का मौका मिला,ये तो बहुत ही अच्छी बात है,स्टेशन मास्टर साहब बोलें... लेकिन फिर भी आप माने या ना माने कि आपको तकलीफ़ हो रही है,ये तो आपकी दरियादिली