मोहन चला तो गया लेकिन अब वह उस मौके की तलाश में था जब वह बसंती को वापस अपने पास ले आए। उन्हीं दिनों उसके पूरे परिवार को एक शादी में जाना था। तबीयत खराब होने के कारण बसंती उनके साथ नहीं जा सकती थी। तब जयंती ने उससे कहा, “बसंती तू अपने अम्मा बाबूजी के पास चल, मैं तुझे छोड़ देती हूँ। हमें आने में रात हो जाएगी। हम लौटते वक़्त तुझे लेते हुए आ जाएंगे।” “नहीं जीजी मैं दरवाज़ा बंद करके आराम करूंगी। तुम बिल्कुल चिंता मत करो और शायद अम्मा बाबूजी भी उस शादी में जाने वाले