गोविंद और जयंती दोनों ने ही मोहन और बसंती के रिश्ते के बारे में अपने-अपने घर में बात कर ली। दोनों तरफ से हरा सिग्नल मिलने के बाद फिर एक दिन गोविंद जयंती के घर आया। उसने जयंती के पिता से कहा, “बाबूजी जयंती को तो आप मुझे सौंप ही रहे हैं। अगर बसंती की शादी मोहन से हो जाए तो?” “अरे गोविंद बेटा तुम हमारे दामाद हो और तुम्हारी तरफ़ से आया यह रिश्ता हमें भी मान्य है। हमारी दोनों बेटियों का साथ कभी नहीं छूटेगा। हमारे लिए तो यह बहुत ही ख़ुशी की बात है।” गोविंद ने कहा,