केसरी लाल की अपने गांव में छोटी सी हलवाई की दुकान थी। शादी के बहुत साल बीतने के बाद भी केसरी लाल और उसकी पत्नी को जब औलाद का सुख नहीं मिलता है, तो वह और उसकी पत्नी कलावती बहुत अधिक पूजा पाठ करते हैं और ईश्वर की कृपा से उनके घर बेटे का जन्म हो जाता है। दोनों अपने बेटे का नाम मिलकर भुवन रखते हैं। मुश्किल से औलाद का सुख मिलने की वजह से वह अपने बेटे भुवन की छोटी से छोटी ख्वाहिश पूरी करते थे। भुवन को हल्का सा खांसी जुकाम भी हो जाता था, तो केसरी