रामायण - भाग 1

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गोस्वामी तुलसीदास ने जब रामायण अपनी प्रादेशिक भाषा अवधी मे लिखी, तो उसपर बहुत विवाद हुआ। परंतु गोस्वामी जी ने अपना फैसला नहीं बदला क्योंकि उन्हें इस का विश्वास था कि रामायण की कहानी आम इंसानों तक पहुंँचनी चाहिए । ताकि उसमे जो कर्तव्य, त्याग और प्रेम के आदर्श दिखाए गए हैं। जो Human behaviour के ideals हैं। उनसे एक आम इंसान भी अपने जीवन का मार्गदर्शन पा सके। उसे जिंदगी का सही रास्ता मिल सके।रामायण एक धार्मिक ग्रंथ होने के अलावा एक संस्कृति दस्तावेज है। एक ऐसा कल्चरल डॉक्यूमेंट है जो रंग, नस्ल और जाति के सीमाओं को पार