पांच बरस के शम्मी को और तीन बरस की रक्षा को जब उनका पिता परिवार की जिम्मेदारियों से घबराकर साधु बनने के लिए हिमालय भाग जाता है, तो तब रक्षा शम्मी की मां मजबूर होकर बड़े घर को बेचकर एक छोटा घर खरीदती है और बड़ा घर बेचने के बाद उसे जो पैसे बचते हैं उनसे अपने नए घर के पास ही घरेलू सामान बेचने की के लिए किराए पर दुकान ले लेती है। शम्मी जब दस बरस का हो जाता है तो उसका नए घर में बिल्कुल भी मन नहीं लगता है क्योंकि उनके पड़ोस का मकान खाली पड़ा