गाँव के एक पक्के मकान के पीछे के दरवाजे से एक मर्द और औरत चोरों की तरह आगे पीछे देखते हुये मकान से बाहर निकले, सामने सूरज ढल रहा था और उसकी किरणें सीधी उनके मुँह पर पड़ रही थीं,मर्द देखने में युवा था और औरत सुन्दर थी, पर दोनों के चेहरों का रंग उड़ा हुआ था,औरत के हाथों में कपड़े में लिपटा हुआ कुछ था, एक-दो पल के लिए वे दूसरी ओर से आ रही आवाजों को सुनने के लिए वहीं रुक गये,लेकिन फिर वे सर्र से गन्ने के खेत में जा घुसे,ये शहाबुद्दीन और उसकी बीवी साहिबजान थे