बड़े लाड़ दुलार सें पालौ जीऐ , पार पलना झुलाओ कबहूँ गोद लई! देके स्लेट पढ़ाओ जीए अ आ ई , जिद्द पूरी करी जो कबहूँ खीझ गई! जाकी छींक पै धरती उठाएं फिरौ, सोओ नई रातभर जो कबहूँ पीर भई! जाखों प्राणन से ज्यादा प्यार करौ, आज बेटी हमारी सयानी भई! जाखों छाती धरें फिरे रातन कै, कटे हाथन हाथन दिन सबरे ! जाकी बातन में दुख भूल गए, जाकी चालन से मन मोद भरे,! जाखों कईयां लई और पिठइयां धरी, गए मेला तमासिन में सबरे! ऐसी फूलन सी बेटी बोझ भई, जा के हाथन हाथन लये नखरे!