एपिसोड 15 ( काव्य का नाटक ! ) काश्वी को ना जाने क्यूँ , पर गुस्सा आ रहा था | शाम हो चुकी थी | ओर काश्वी बहुत ज्यादा थक भी चुकी थी | पर जैसे जैसे काश्वी काव्य को देख रही थी , काश्वी को ऐसा लग रहा था , की उसने काश्वी को कहीं तो देखा था , अचानक से कास्ज्वी के सामने कुछ दृश्य आए | जिसके बाद तेज़ सर में दर्द होने के कारण काश्वी की आँखों के सामने काला अँधेरे छाने लगा था | राघव काव्य को खुद से दूर करने की कोशिश कर रहा