एपिसोड 14 ( काव्य का आना ! ) राघव को समझ नहीं आ रहा था , की काश्वी इस तरह रियेक्ट क्यूँ कर रही थी | राघव ने फिर ध्यान दिया , की काश्वी उसी के पिच्छे कुछ देख रही थी | राघव जब पिच्छे मुदा , तो उसके पिच्छे सिर्फ सीड़ियाँ ही थीं | ध्यान से सोचने के बाद , राघव को समझ में आया की , काश्वी क्या कहना चाहती है | राघव कुछ बोलता , उससे पहले ही काश्वी बोल पड़ी | काश्वी :: "राघव इतनी सारी सीड़ियाँ ?" मंदिर के मेन द्वार तक पहुंचने के लिए