।। पत्र ।। बात मन के भावनात्मक दायरें से निकली हैं, बुद्धि आदि के आयाम से, बिना भावनात्मक आयाम के, समझ नहीं आ सकती। कृष्ण की कृष्ण से सामंजस्य की गुहार हैं। कृष्ण वह बीज हैं, जो आकार के आयाम से, अहसास पृथकता का हैं; जिस बीज नें शून्य आकार नामक जड़ के बूते अनंत आकारों का फैलाव किया हैं। यह वह होश का अहसान हैं, जो कि जितना अनंत आकारों में होने से, असीम आकार सभी की/के सभी हैं, उतना ही वह निराकार वास्तविकता में जो, वह भी यह ही हैं। उस असीम और शून्य चैतन्य का, उस परम्