मानव ऐसा युवक था, उसके स्वभाव को समझना सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी के लिए भी समझना असंभव था क्योंकि मानव जिस व्यक्ति के साथ एक सप्ताह से भी कम समय रहता था, तो उस व्यक्ति ही जैसे दिखने की कोशिश करने लगता था इसलिए उस व्यक्ति जैसे ही हरकतें करना शुरू कर देता था जैसे डॉक्टर के साथ रहता था तो डॉक्टर जैसा आचार व्यवहार करने लगता था अगर चोर के साथ रहता था, तो चोरी करना करने लगता था।कहने का अर्थ यह है कि मानव की अपनी कोई पहचान नहीं थी। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि मानव अनाथ था