जनवादी ग़ज़ल का शायर-सीताराम साबिर

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सीताराम साबिर : सूफियाना प्रकृति के शायर राजनारायण बोहरेसाहित्य सर्जन को अपना ईमान धर्म समझने वाले शायरों में दतिया के सीता राम कटारिया साबिर का उल्लेख बड़े फख्र के साथ होता है |उनके पास निरर्थक दुखों से जुड़ी रचनाएं नहीं, ना ही निर्देश से लिखी काव्य पंक्तियां हैं | वे दिखने में जितने साधारण , लिखने में उतनी ही असाधारण थे| दतिया के ताजियों में जिस श्रद्धा के साथ मैंने उन्हें रेवड़ी चढ़ाते देखा, उसी गंभीरता के साथ नवरात्रि में मंदिर के आगे सिर झुकाते | उनके अनुसार खुदा बटा हुआ नहीं है एक ही है| शायद ऐसे ही किनी