इति वृतात्मकता की वापसी: इज्जत-आबरूडा0 लक्ष्मीनारायण बुनकर कथा संग्रह -इज्जत-आबरूलेखक-राजनारायण बोहरेयात्री प्रकाशन दिल्ली आज की हिन्दी कहानी पर तमाम आरोप एक लम्बे समय से लगभग हरेक संगोष्ठी मेंलगाये जाते है- कि यह रोचकता से बहुत दूर होती जा रही हैं, इसमेंवृतांतत्मकता का कतई अभाव होता जा रहा हैं, इसकी भाषा बडी बोझल हो रही हैं, इसमेंप्रयुक्त भाषा-भारतवर्ष के किस प्रदेश मेंनहीं बोली जाती हैं, यह बिल्कुल अविश्वसनीय हो गई हैं, आदि आदि। लेकिन कुछ ऐसे कथा लेखकों का नाम अभी भी पूरे उत्साह से लिया जा सकता हैं, जिनकी कथाओं मेंकहानी की मोहकता और किस्सा की विश्वसनीय विद्यमान हैं जो