एक योगी की आत्मकथा - 34

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हिमालय में महल का सृजन“बाबाजी (महाअवतारी बाबा) के साथ लाहिड़ी महाशय की प्रथम भेंट एक रोमांचक कहानी है और यह उन कई कहानियों में से केवल एक है जिनसे उस मृत्युंजय महागुरु की विस्तृत झाँकी मिलती है।”ये उस अद्भुत कहानी को शुरू करने से पहले स्वामी केवलानन्दजी के प्रस्तावना शब्द थे। पहली बार उन्होंने जब यह कहानी मुझे बतायी थी, तो मैं अक्षरशः मंत्रमुग्ध हो गया था। अन्य कई अवसरों पर भी मैं अपने शान्त प्रकृति संस्कृत शिक्षक को यह कहानी फिर से मुझे सुनाने के लिये मना लिया करता था। बाद में श्रीयुक्तेश्वरजी से भी मुझे लगभग उन्हीं शब्दों