12 साल का अरविंद स्कूल से आकर कभी खाना खाकर कभी बिना खाना खाए, इमली के पेड़ों के नीचे पहुंच जाता था और इमली के एक एक पेड़ को ध्यान से देखता था, कि उसे पेड़ की कोई ऐसी खोख या टहना नजर आ जाए, जहां तोते के बच्चे अपनी मां के साथ छुप कर बैठे हो। अरविंद को तोते से उस दिन से प्यार हो गया था, जिस समय वह गर्मियों की छुट्टियों में अपने मामा मम्म के घर घूमने गया था।उसके ममेरे भाई ने मनुष्य की बोली बोलने वाले तोते को पिंजरे में दिखाकर उसे बताया था, कि