अतीत के पन्ने - भाग 37

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फिर हवेली पुरी तरह से दुल्हन की तरह से सज गया था।आलेख ने अपनी छोटी मां की अलमारी में से सारे गहने निकाल कर सोनार को दिया और कहा कि एक अच्छी पालिश करवा लेने को कहा।।सोनार ने कहा अरे वाह कब है शादी तुम्हारी?आलेख ने कहा नहीं, नहीं मेरी शादी नहीं मेरी दोस्त की शादी है।फिर आलेख मायुस होकर वहां से चला गया।हवेली पहुंच कर देखा तो सब काम बहुत जोर तोड़ से हो रहा था।आलेख ने छोटी मां और पापा की तस्वीर के सामने पहुंच कर बोला कि आज आप दोनों का सपना पूरा हो गया है पर