मैं पापन ऐसी जली--भाग(३७)

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जब सरगम ने पाण्डेय जी से ये कह दिया कि वो यहाँ पर रहने वाली किराएदार है तो पाण्डेय जी ने उससे पूछा.... "तो बिटिया! यहाँ रहकर पढ़ रही हो क्या?" "नहीं! चाचा जी! एक संगीत विद्यालय में पढ़ाती हूँ", "तब तो बहुत अच्छी बात है,नाम क्या है तुम्हारा", पाण्डेय जी ने पूछा.... "जी! सरगम त्रिपाठी",सरगम बोली... "नाम सरगम ,काम संगीत ,तब तो तुम साक्षात् सरस्वती हो",पाण्डेय जी बोले... और फिर पाण्डेय जी की बात पर सभी हँस पड़े,तब सरगम बोली... "मैं अभी आप सभी के लिए चाय नाश्ते का इन्तजाम करती हूँ", और ऐसा कहकर सरगम रसोईघर में चली