मैं पापन ऐसी जली--भाग(३४)

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शास्त्री जी ने सोचा अब मैं कैसें भी करके सरगम को ही अपने घर की बहू बनाऊँगा और यही सपना वो दिन रात देखने लगे,लेकिन सरगम इस बात के लिए कतई तैयार नहीं थी,ऐसी बात नहीं थी कि वो राधेश्याम को पसंद नहीं करती थी ,बस वो खुद को राधेश्याम के लायक नहीं समझती थी,लेकिन राधेश्याम के मन में ऐसा कुछ भी नहीं था,वो तो सरगम को उसी दिन से पसंद करने लगा था जिस दिन वो उसे रेलवें प्लेटफॉर्म के बाहर मिली थी,बस उसने आज तक अपने मन की बात सरगम से कही नहीं थी,क्योंकि वो सोचता था कि