भाइयों के जाने के बाद सरगम तो जैसे टूट सी गई थी,उसे अभी तक भरोसा नहीं हो रहा था कि उसके भाई माधव और गोपाल अब इस दुनिया में नहीं हैं और उसकी माँ सुभागी अब तक अपनी सुध बुध बिसराए बैठी थी,सुभागी को मोहल्ले की औरतों ने बहुत रुलाने की कोशिश की लेकिन वो ना रोई और वो बेजान पत्थर सी बनी बैठी रही,अब सरगम से अपनी माँ सुभागी की दशा देखी नहीं जा रही थी,मुहल्ले के लोगों ने सरगम से कहा कि अपनी माँ को रूलाने की कोशिश करो नहीं तो सुभागी के भीतर सदमा बैठ जाएगा और