अपना आकाश - 33 - चलूँगी, ज़रूर चलूँगी

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अनुच्छेद- 35 चलूँगी, ज़रूर चलूँगी विकल्प डेयरी का काम चल निकला। अंगद, नन्दू, तन्नी ही नहीं सभी स्त्री-पुरुष डेयरीमय हो गए। सभी ने दूधारू गाय भैसों के दाना पानी पर ध्यान देना शुरू किया। दूध का उत्पादन बढ़ा इक्यावन लीटर दूध से प्रारम्भ डेयरी एक महीने बाद ही उन्हीं जानवरों से सत्तर लीटर की आपूर्ति करने लगी। पुरवे के लोगों के चेहरे दिप दिप करने लगे। उनके अन्दर इस डेयरी ने एक सपना उगा दिया है। सपनों के होने से ही जीवन में कितना फर्क पड़ जाता हैं? डेयरी के काम-काज की समीक्षा के लिए आज अंगद -तन्नी ने एक