अपना आकाश - 27 - वह दृष्टि ही अलग है

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अनुच्छेद- 27 वह दृष्टि ही अलग है सायं पाँच का समय । वत्सला जी सब्जी लेने के लिए तैयार हुई । माँ से कहा, ‘माँ, मैं सब्जी लेने जा रही हूँ ।' 'जाओ', कहते हुए माँ जी उठीं। हाथ मुँह धोया। बैठक में अखबार पढ़ने लगीं । वत्सला जी ने झोला लिया और उतर गईं। अखबार पढ़ते हुए अंजलीधर की नज़र एक ख़बर पर पड़ी। लिखा था - कृषि की वृद्धि दर में कमी। पूरी रिपोर्ट पढ़ने पर उनका माथा ठनक उठा । आखिर किसानों का भविष्य कैसे सुधेरगा? वे सोचने लगीं। थोड़ी खेती ऊपर से मौसम और बाज़ार की