सरगम कार में पीछे जा बैठी और गनपत कार स्टार्ट करके कार को कमलकान्त बाबू के घर की ओर बढ़ चला,सरगम कार में रोते रोते सोचती रही कि जिन लोगों को उसने अपना माना,इतना मान दिया ,इतना सम्मान दिया और उन्हीं लोगों ने मेरे साथ ऐसा बर्ताव किया,आदेश ने कितना बड़ा धोखा दिया मुझे,मैं जानती होती कि वो ऐसा करेगा मेरे साथ तो मैं कभी भी उसके प्यार में ना पड़ती..... शायद ऐसा दिन दिखाकर भगवान मुझे कुछ सबक देना चाह रहे होगें,लेकिन इसमें गलती तो मेरी ही है,मैं क्यों फँसी आदेश के झूठे प्यार के जाल में,मैं क्यों बह