हरिवंश राय बच्चन जी को समर्पित सुत को 'सरस्वती' ने स्वयं सिखाये शब्द शब्द-शब्द में स्वरूप सत्य का समा गये! पुण्य से 'प्रताप' के प्रवर्तकों से प्ररेणा ले प्रेम के प्रतीक, पीर पीड़ितों की गा गये! पृथ्वी पै पिता के प्रताप को प्रदीप्त कर पुत्र के पुनीत पुण्य धर्म को निभा गये ! हरिवंश राय, हरि वंश की निभाये लाज हरि पद गाये हरि धाम को सिधा गये!! 1 सुत ने 'सरस्वती' से सुमति, सुबुद्धि पाई सुयश-सुकीर्ति शुद्ध भावना से पा गये ! सत्य प्रेम, सत्य नेम सत्य हो सनातन है सत्य के सहारे से, स्वनाम धन्य छा