मैं पापन ऐसी जली--भाग(५)

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यूँ ही एक दिन सरगम रसोई में खाना पका रही थी,तभी पीछे से किसी ने उसकी चोटी खींची और पूछा.... ए...पागल ये क्या हो रहा है? सरगम पीछे घूमी तो एक नवयुवक उसके सामने खड़ा था,उसने जैसे ही सरगम को देखा तो बोल पड़ा... माँफ कीजिएगा,मुझे लगा भानु है.... तभी पीछे से भानू आई और उस नवयुवक से बोली... ओह....तो इतने दिनों बाद हमारे घर शायर साहब पधारें हैं.... तब वो नवयुवक बोला.... अब क्या करें?आना ही पड़ा,सोचा अपनी शायरियाँ सुनाकर आप सबको परेशान किया जाएं.... रहने दीजिए कमलकान्त बाबू!ज्यादा बहाने ना बनाइए,कोई काम होगा तभी आप यहाँ आएं है,वरना