श्वेता समझ चुकी थी कि शाश्वत यहाँ पढ़ने नहीं आया है,वो तो यहाँ सरगम को देखने आया था और शाश्वत का वहाँ यूँ ही बैठना सरगम को भी अच्छा नहीं लग रहा था,इसलिए उसने अपनी किताबें उठाईँ और लाइब्रेरी से बाहर निकल गई,फिर श्वेता भी वहाँ ना रुक सकी और वो भी सरगम के पीछे पीछे लाइब्रेरी से बाहर चली गई,शाश्वत यूँ ही दोनों को जाते हुए देखता रहा.... अब ये तो रोजाना का सिलसिला हो गया,जहाँ भी सरगम जाती तो शाश्वत भी उसके पीछे पीछे हो लेता,काफी दिन यूँ ही गुजरे और फिर एक दिन शाश्वत ने श्वेता से