प्रेम निबंध - भाग 14

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समय यात्रा करते करते कुछ और दिन यू ही बीते जैसे बीती रात बिना किसी चांद के फिर भी वो रात भी बीती। और दिन निकला बादलों की आड़ में। जैसे कुछ कुकर्म किए हो उसने। हम सब जानते है हीर रांझा और पतंग से मांझा तक का संबंध। फिर भी पता नही क्यों हम नही समझ पाते हैं। कुछ और हम बह जाते है। अभी कुछ वक्त हो चला था। कि मैं स्वप्न से जागा और देखा तो सामने थी मेरे अपने इतिहास से परे विश्व इतिहास की एक किताब जो की दुनिया के इतिहास बताती थी। बस मेरा