एक योगी की आत्मकथा - 32

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{ मृतक राम को पुनः जीवन-दान } 'अब लाज़ारस नाम का एक व्यक्ति बीमार था... जब ईसा मसीह ने यह सुना, तो उन्होंने कहा, यह बीमारी मृत्यु की नहीं है, परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है, जिससे परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो सके।' एक सुहानी सुबह श्रीयुक्तेश्वरजी श्रीरामपुर के अपने आश्रम की बाल्कनी में बैठकर ईसाई धर्मग्रन्थ पर भाष्य कर रहे थे। गुरुदेव के कुछ अन्य शिष्यों के अतिरिक्त मैं भी राँची के अपने छात्रों के एक दल के साथ वहाँ उपस्थित था। यहाँ पर ईसामसीह अपने आप को परमेश्वर का पुत्र कह रहे हैं। यद्यपि वे वास्तव में