अकेली - भाग 10 - अंतिम भाग

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पुलिस को बुलाने की बात सुनकर गंगा ने कहा, "नहीं फुलवंती जाने दे इन्हें। इतनी बड़ी सज़ा जो तू ने इन्हें दी है उसके आगे कुछ हफ़्तों की जेल की सज़ा कोई मायने नहीं रखती। अब तो यह तेरे से कभी नज़रें नहीं मिला पाएंगे। यही इनकी सबसे बड़ी सज़ा होगी।" आज फुलवंती के अंदर माँ काली का रूप समाया था। उसने गुस्से भरे स्वर में कहा, "जाओ चले जाओ यहाँ से। आज मुझे तुम्हारी शक्ल देख कर भाई नहीं दो बलात्कारी नज़र आ रहे हैं।" उसके बाद उनके जाते से फुलवंती गंगा से लिपट कर, "मुझे माफ़ कर दे