सतसई परंपरा और बिहारी भूमिका शैलेंद्र बुधौलिया काव्य भेद प्रबंध और मुक्तक का स्वरूप और विशेषताएं काव्य में एक विशेष बन्ध- एक विशिष्ट पूर्वाक्रम - की दृष्टि से उसके दो भेद स्वीकार किए गए हैं -प्रबंध और मुक्तक! प्रबंध काव्य की रचना सानुबन्ध होती है- सर्ग बन्धो महाकाव्यम! जबकि मुक्तक काव्य अनुबन्धहीन होता है। अग्नि पुराण में मुक्तक की परिभाषा-"मुक्तक श्लोक एकेकश्चमत्का रक्षुम सताम!" अर्थात मुक्तक श्लोक को पूर्वा पर क्रम के बिना एक ही चंद में चमत्कार उत्पन्न करने में समर्थ रचनाएं । प्रबंध काव्य में एक प्रवाह और क्रम आवश्यक है जबकि मुक्त काव्य में क्रम का