एक योगी की आत्मकथा - 28

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{ काशी का पुनर्जन्म और उसका पता लगना }“कोई भी पानी में मत उतरना। सब लोग बाल्टी से पानी लेकर ही नहाएँगे।”आठ मील की दूरी पर स्थित एक पहाड़ी पर मेरे साथ चल रहे राँची के विद्यालय के बच्चों को मैं निर्देश दे रहा था। हमारे सामने फैले हुए तालाब में उतरने की इच्छा तो हो रही थी, परन्तु मेरे मन में उस तालाब के प्रति एक प्रकार की अरुचि पैदा हो गयी थी। अधिकांश बच्चे तो पानी में अपनी बाल्टियाँ डुबाने लगे, पर कुछ लड़के ठंडे पानी के आकर्षण का विरोध नहीं कर सके। जैसे ही उन्होंने पानी में