और सूरज डूब गया

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और सूरज डूब गया ***‘चांदनी,यह रही तुम्हारी बिछुड़ी हुई चूड़ी का दूसरा हिस्सा। दुर्घटना के समय तुम्हारी टूटी हुई वह चूड़ी, जिसको तुम्हारी जान बचाने की ख़ातिर, मैंने कभी तुम्हारे ही कोमल जिस्म से काटकर बाहर निकाला था। तुम्हारी प्यारी सोने की चूडि़यां, वर्षों पहले इन्हें तुम्हारे हाथों में पहनाने के मैं कभी लायक नहीं था, और आज इन्हें पहनाने का मुझे कोई भी अधिकार नहीं। इसको मेरी तरफ से अपने विवाह का एक उपहार समझकर स्वीकार कर लेना। मैं यहां से जा रहा हूं। तुम्हारा शहर और तुम्हारी हरेक वह जगह को छोड़कर, उस स्थान पर जहां पर मुझे