और पहली बार एक खूबसूरत नवयुवती के पास बैठना सुखद एहसास था।वह नवयुवती मेरी पत्नी बन चुकी थी।लेकिन अभी हम एक दूसरे से अपरिचित ही थे।पति पत्नी बन चुके थे लेकिन औपचारिक परिचय नही हुआ था।और पहली बार ही उसने बैठने का आदेश सुना दिया था।और कुछ ना नुकर के बाद मैं बैठ गया और बाहर औरते गीत गा रही थी।उसके बदन से उठ रही भीनी भीनी सुगंध मेरी नाक के जरिये मेरी सांसों में घुल रही थी।। और रात को बारह बजे बाद तक यह कार्यक्रम चलता रहा।बाद में उसे औरते छत पर ले गयी थी।उन दिनों हमारे गांव