श्री चैतन्य महाप्रभु - 15

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मथुरा श्रीमन्महाप्रभु का आगमनश्रीमन्महाप्रभु प्रेम में उन्मत्त होकर नृत्य एवं कीर्त्तन करते हुए मथुरा की ओर चले जा रहे थे। ज्यों-ज्यों वे वृन्दावन की ओर बढ़ रहे थे, त्यों-त्यों उनका प्रेम आवेश भी बढ़ रहा था। मार्गमें जहाँपर भी उन्हें यमुना जी का दर्शन होता, वे उसमें कूद पड़ते। तब बड़े कष्ट से बलभद्र तथा उनका सेवक प्रभु को बाहर निकालते थे। इस प्रकार चलते-चलते प्रभु मथुरा पहुँचे। मथुरा पहुँचकर सर्वप्रथम वे विश्रामघाट गये और वहाँ पर स्नान किया। तत्पश्चात् जन्मभूमि और आदिकेशव आदि का दर्शन किया। श्री केशवदेव का दर्शन करते ही वे प्रेममें आविष्ट होकर उद्दण्ड नृत्य करने