नैया उपन्यास तीसरा भाग शरोवन द्वितीय परिच्छेद - माँझी का संसार उजड़ गया... दिल की सारी हसरतों पर बिजली आग के समान चीख मारकर गिर पड़ी । उसके प्यार का हश्र इतना बुरा भी हो सकता है । ऐसा तो उसने कभी सोचा भी नहीं था । एक-न-एक दिन यह सब तो होना ही था, वह इतना तो समझता था-परन्तु यह सबकुछ इस तरह से होगा, ऐसा उसने कभी भी नहीं चाहा था । सुधा उसको इतनी कठोरता से लताड़ भी देगी, सबकुछ जानते, समझते हुए भी अनजान बनकर उसको अपने विषभरे शब्द भेंट में दे देगी